हों मेरे कदमों के निशां इतने गहरे
कि उनसे चलने की आहट सुनाई दे
गर राह में भटके कोई अकेला यूँ ही
तो रोशनी की झलक दिखाई दे
बह जायें गमों के अश्क सारे
ऐसी धूप के सैलाब की अँगड़ाई दे
गर टूट जाये अपनों के दिये जख्मों की खातिर
तो सूनी राहों में मरहम बन रहनुमाई दे।
---- पत्तो की डायरी से
कि उनसे चलने की आहट सुनाई दे
गर राह में भटके कोई अकेला यूँ ही
तो रोशनी की झलक दिखाई दे
बह जायें गमों के अश्क सारे
ऐसी धूप के सैलाब की अँगड़ाई दे
गर टूट जाये अपनों के दिये जख्मों की खातिर
तो सूनी राहों में मरहम बन रहनुमाई दे।
---- पत्तो की डायरी से
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