वैसे तो फिज़ूल हैं कागज के टुकड़े
पर उनकी कीमत उस लेखनी से पूछो
जिनको वो अपना दर्द सुनाती है
यूँ तो शब्दों में भी कुछ नहीं रखा है
पर उदास उस मन से पूछो
जिसकी आँखों में शब्दों की हर कड़ी
नये सपने सजाती है
---- पत्तो की डायरी से
पर उनकी कीमत उस लेखनी से पूछो
जिनको वो अपना दर्द सुनाती है
यूँ तो शब्दों में भी कुछ नहीं रखा है
पर उदास उस मन से पूछो
जिसकी आँखों में शब्दों की हर कड़ी
नये सपने सजाती है
---- पत्तो की डायरी से
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