यूँ तो कई जिन्द़गी के सफर में
मिलते हैं बिछड़ जाते हैं
चाहत है मैं खुद को वो चिराग-ए-रौशन बनाऊँ
कि क़ाफिले याद रखें वो सफर
जिस-जिस सफर से मैं गुजर जाऊँ।
---- पत्तो की डायरी से
मिलते हैं बिछड़ जाते हैं
चाहत है मैं खुद को वो चिराग-ए-रौशन बनाऊँ
कि क़ाफिले याद रखें वो सफर
जिस-जिस सफर से मैं गुजर जाऊँ।
---- पत्तो की डायरी से
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