अपने दर पे बुला क्यों नहीं लेते
हया का परदा हटा क्यों नहीं देते
दीदार भी होता रहे हर वक्त बार-बार
दिल में अपने बिठा क्यों नहीं लेते।
हया का परदा हटा क्यों नहीं देते
दीदार भी होता रहे हर वक्त बार-बार
दिल में अपने बिठा क्यों नहीं लेते।
गजल संग्रह- “तुम भी नहीं’’ ( गज़लकार - श्री अनिरुद्ध सिन्हा) पृष्ठ -104...
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