Wednesday, February 15, 2012

संघर्ष






















स्वयं मिलेगी राह तुझे
जीवन के संघर्षों में,
कुछ फूल-शूल के हार मिलेंगे
कुछ विश्वास मिलेगा वर्षों में,
सुख दुख का आगम शाश्वत नहीं है पृथ्वी पर
जब भेद समय का जान गया
तो शोकाकुल क्यों नियति पर
जब कर में तेरे है करनी का निस्सीम बल
बन न लता वृक्ष बन
कर प्रदान निज को संबल ,
निज जीवन जीते हैं सब ही
कुछ औरों को हो तो कुछ बात बने
बूंद-बूंद सा अमृत सबको
फिर कोई बरसात बने
कुछ करने को मन में भाव सभी उछल पड़े
जब सुप्त से सजग हुई आत्मा
नीड़ से पक्षी निकल उड़े ।



2 comments:

  1. जीवन में हर पल संघर्ष है,कोई प्राणी इससे अछूता नहीं है।
    "Struggle thy mane is Life"

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  2. आपकी रचना ने न्यायपालिका पर आम जनता के अटूट विश्वास को उजागर किया है, वास्तविकता भी यही है कि आजकल जिस तरह अपराधों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है लोगों की एक मात्र उम्मीद न्यायपालिका ही है। अच्छी कविता के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।

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