मानवीयता
एक नैतिक आग्रह
मानवीयता
एक नैतिक आग्रह है,
संघर्ष की जिजीविषा है...
अभिषप्त दायरों को तोड़ती दुनिया
पत्थरों की तरह
विद्रूपता और मिथकीयता में
सभ्यता विमर्ष
बस,
बौद्धिक स्वर भर
बदलाव की खाई भरने के लिये
त्र्मृण की लिपि व स्याही सूख चुकी है
अब बंद करो देवताओं के गान
चीत्कारों मे मत ढूँढो संगीत
नई कलम तराशकर लिख जाने दो
स्वाभाविकता का प्रेम संदेश
क्योंकि अब न राजा है
न प्रजा
न साम्राज्य ।
Pratibha Chauhan ...
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