Thursday, October 6, 2016

कविता आज


          * पेड़ खूबसूरत है *


किसी ने कहा
आदमी खूबसूरत है
मैंने कहा
पेड़ खूबसूरत है…
फिर आदमी की कुछ खूबसूरती
क्रोध ने,
कुछ ईर्ष्या ने,
कुछ लोभ ने,
कुछ द्वेष ने छीन ली ….
फिर छीन ली दिल ख्वाहिशों  ने
फिर एक दिन
आदमी ने
पेड़ के वज़ूद को मिटा डाला
खूबसूरती के फेर में
नदियों के रूख को अपने रिमोट से घुमाया
चट्टानों के  दिलों को दहलाकर
बना डाले दोराहे,तिराहे ,चौराहे
खूबसूरत पेड़
देखता रहा
सभी कृत्य …
जिसकी कोख में थी खूबसूरती
वो दुनिया को खूबसूरती बांटता रहा
हमेशा , कल भी ,आज भी ,
इंसानियत की आखिरी सांस तक
उसमें बांटने का जज़्बा था…..
और आदमी में लेने का ….Pratibha Chauhan
                

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