Tuesday, December 26, 2017





         
                                                                                
                                   परम आदरणीय श्री नामवर सिंह जी के साथ..आशीर्वाद लेते हुए 





                                   'इंडिया टुडे' में मेरे कविता संग्रह 'पेडों पर हैं मछलियाँ'  का रिव्यु 😊




                                            राष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण पत्रिका "आउटलुक" में 
                                 मेरे कविता संग्रह "पेड़ों पर हैं मछलियाँ" पर एक छोटी सी टिप्पणी😊.



DAINIK JAGRAN 





                                                                                           
 
नियति

काला बादल निगलने की फिराक में है....
नीला आसमान
लाल सूरज
हरी धरती
पर हजार बृह्माण्डों की ताकत भी
असफल रही नियति को निगलने में।






माँओं की नींद

गुथ जाती है माँओं की नींद
लोरियों में,
जिनसे बुना होता है
हमारे सपनों का संसार
आजाद पंखों से उड़ने वाली बुलबुलें
उड़ा ले जातीं हैं माँओं की नींद भी
गूँथती हैं अब वे
अपनीं नींदों को
नये सपनों को बुनने के लिये,

माँयें कभी नहीं सोतीं.......



समर्पण

मैं दरिया हूँ
निश्चित है कि समुन्दर में मिलूँगी

और तुम मेरे समुन्दर हो
निश्चित है कि
मुझे अपने आगोश में लोगे

कुछ इस तरह मुझे अपने वजू़द को

तुममें मिटाने की ख़्वाहिश है।

Wednesday, December 6, 2017


 शिकारी

दशकों पूर्व की
स्थितियाँ परिस्थितियाँ

जानी पहचानी
पुनर्जन्म सी
अपने जातिगत उभार में
आदिम प्रकृति का समकालीन पाठ करती हैं

घात में बैठा है हर एक शिकारी....

कोई फर्क नहीं
शिकार चाहे जानवर का हो
या इन्सान का ,
खून जानवर का बहे
या इन्सान का ,
कोई फर्क नही पड़ता

आखि़र....
आखेट की संतुष्टि भर कहानी ही तो है
शिकार और शिकारी
घात प्रतिघात
चलता परस्पर युद्ध

सतर्क बैठा है वो
खुद शिकार किये जाने के भय के साथ
कभी कभी दंश भी
उसको सतर्क किये रखता है

आईने में आईने झाँकते हैं -
और चेहरे !
चेहरे गायब
जटिल प्रश्न ?

अब कौन सवाँरेगा उन चेहरों को
गंभीर , नम्र, सादगी भरे चेहरों को
कौन पढ़ेगा
उनके हृदय की गीता -रामायण को,

शायद अब
प्रतिद्वन्द्विता में
नहीं सँवरेंगे चेहरे
ना साफ होगी आईनों की धूल

क्योंकि
परम सुख , इह लोक माया
चरम सुख है आखेट
होड़ है , बाजार में
कौन बनेगा सबसे बड़ा शिकारी,
जो समाज में ईनाम पायेगा
सिर उठाकर फक्र से जियेगा

मरने के बाद 

इतिहास लिखा जायेगा

           Pratibha Chauhan ...

गजल संग्रह- “तुम भी नहीं’’ - श्री अनिरुद्ध सिन्हा

              गजल संग्रह- “तुम भी नहीं’’                           ( गज़लकार - श्री अनिरुद्ध सिन्हा)            पृष्ठ -104...