कर ज़माने को रोशन अपनी लौ से इतना
कि तेरी रहनुमाई में हर किसी को ठहरना होगा
नहीं आएगी खुद मंज़िल तेरे पास यूँ ही
तुझे अपने ही राह-ए-कदम पर चलना होगा
बुझा देंगीं वरना नफ़रत की आँधियां तुझे
यूँ मशाल सा रातभर जलना होगा ।
---- पत्तो की डायरी से
कि तेरी रहनुमाई में हर किसी को ठहरना होगा
नहीं आएगी खुद मंज़िल तेरे पास यूँ ही
तुझे अपने ही राह-ए-कदम पर चलना होगा
बुझा देंगीं वरना नफ़रत की आँधियां तुझे
यूँ मशाल सा रातभर जलना होगा ।
---- पत्तो की डायरी से
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