वो मेले, चिठ्ठियाँ कहीं गुम हो गयीं हैं
चाट के ठेले, नया जमाना,नई दुनिया
मिट्टी के खिलौने, नये लोग,नई बातें हैं अब
टाट के बिछौने, वे पुरानी दुनियाँ की बातें हो गयीं हैं
सज सँवरकर बग्घी पे जाना चिठ्ठियाँ कहीं गुम हो गयीं हैं-
मित्रों के साथ हँसना हँसाना शोर मच जाता था
कहीं विस्मृत हो गये हैं जब डाकिया आता था
लगता है हम सभी सभ्य हो गये हैं। गाँव में घर-घर चिठ्ठी पढ़कर सुनाता था
हमारे घर की औरतें, समय से पहले इन्जार करते
मोहल्ले की चाची , चिठ्ठी की राह तकते थे लोग
पड़ोस की अम्मा, खामोश पत्थर सी चुप हो गयीं हैं
दूर की दादी चिठ्ठियाँ कहीं गुम हो गयीं हैं
नहीं जाते हैं मेले में अब डाकिया सिर्फ बिजली पानी के बिल लाता है
जीते हैं, तो सिर्फ अकेले में न गाँव में घर-घर जाता है
बचपन की यादें ताजी हो जाती हैं न कुछ पढ़कर सुनाता है
जब धूल से सने बच्चों को दरवाजा खटखटाकर
मेले में जाते दराज से बिल पँहुचाता है
ठेले पर खाते रेत की लकीरों की तरह
देखता हूँ समय की लहरों से मिट गयीं हैं
सभ्य होने के साथ ही चिठ्ठियाँ कहीं गुम हो गयीं हैं।
मैंने वो आनन्द
वो अटखेलियाँ
वो मिट्टी से जुड़े होने का अहसास,
और अड़ोसी-पड़ोसी
जो मेरे अपने थे,
खो दिए हैं
और भविष्य के लिए
कुछ बीज बो दिए हैं।
चाट के ठेले, नया जमाना,नई दुनिया
मिट्टी के खिलौने, नये लोग,नई बातें हैं अब
टाट के बिछौने, वे पुरानी दुनियाँ की बातें हो गयीं हैं
सज सँवरकर बग्घी पे जाना चिठ्ठियाँ कहीं गुम हो गयीं हैं-
मित्रों के साथ हँसना हँसाना शोर मच जाता था
कहीं विस्मृत हो गये हैं जब डाकिया आता था
लगता है हम सभी सभ्य हो गये हैं। गाँव में घर-घर चिठ्ठी पढ़कर सुनाता था
हमारे घर की औरतें, समय से पहले इन्जार करते
मोहल्ले की चाची , चिठ्ठी की राह तकते थे लोग
पड़ोस की अम्मा, खामोश पत्थर सी चुप हो गयीं हैं
दूर की दादी चिठ्ठियाँ कहीं गुम हो गयीं हैं
नहीं जाते हैं मेले में अब डाकिया सिर्फ बिजली पानी के बिल लाता है
जीते हैं, तो सिर्फ अकेले में न गाँव में घर-घर जाता है
बचपन की यादें ताजी हो जाती हैं न कुछ पढ़कर सुनाता है
जब धूल से सने बच्चों को दरवाजा खटखटाकर
मेले में जाते दराज से बिल पँहुचाता है
ठेले पर खाते रेत की लकीरों की तरह
देखता हूँ समय की लहरों से मिट गयीं हैं
सभ्य होने के साथ ही चिठ्ठियाँ कहीं गुम हो गयीं हैं।
मैंने वो आनन्द
वो अटखेलियाँ
वो मिट्टी से जुड़े होने का अहसास,
और अड़ोसी-पड़ोसी
जो मेरे अपने थे,
खो दिए हैं
और भविष्य के लिए
कुछ बीज बो दिए हैं।
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