Sunday, September 5, 2021

#अंतर्राष्ट्रीय_आदिवासी_दिवस (जंगलों में पगडंडियां)

 #अंतर्राष्ट्रीय_आदिवासी_दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

आदिवासी समुदाय को समर्पित मेरी यह कविता***
वह आदिवासी है
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आसमान में
चमकते हो सूरज की तरह
तुम्हारी गोद में पलती है
धरती की आदिम सभ्यता
कौन मिटाएगा उसे
जो है समस्त सागर ,भू और आकाश में
विद्यमान
सृष्टि का पहला हस्ताक्षर
तैरती हैं हजारों स्मृतियाँ शाखों पर
जो रहते हैं
सम्मान में सदा सिर झुकाए
हरेपन की कहानी लिए
जिसकी आत्मा में रचा बसा जंगल
और जंगल में रचा बसा जिसका अस्तित्व
शांत ,सुदृढ़, पूर्णतः प्राचीन
आदिम सृष्टि के पटल पर
न अस्त होने वाला अविनाशी है
सुनो
वह आदिवासी है ...प्रतिभा चौहान
(प्रकाशाधीन कविता संग्रह "जंगलों में पगडंडियां" से )



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